लेखनी प्रतियोगिता -26-Mar-2023 एक फौजी की पत्नी
फौजी की पत्नी
अर्पणा ने जब कैप्टन की ड्रेस में सुबोध को देखा तब उसका सीना गर्व से चौडा़ होगया। उसका बर्षौ का ख्वाब आज पूरा होगया । अर्पणा ने सुबोध को छाती से लगा लिया और अपनी पति की फोटो के सामने खडी़ होकर बोली," नीरज आज मेंने आपका ऋण उतार दिया है अब मुझसे शिकायत मत करना। आपने अपने खत में लिखा था कि मेरे बेटा हो या बेटी लेकिन उसे फौज में अवश्य भेजना। मैने आपके बेटे को कैप्टन ही बनाया है। "
अर्पणा अपने पति के आखिरी खत को पढ़ते हुए आज से पच्चीस वर्ष पीछे की यादौ में खोगयी।
"अर्पी हम फौजियौ की सांसौ का कोई पता नहीं है कब तक हैं।आज हमारी सुहागरात है लेकिन मालूम नही यह हमारी आखिरी रात भी हो सकती है। हम फौजी सबसे अधिक प्यार अपनी भारत माँ से करते है। इसकी रक्षा हेतु अपने दुश्मन की जान लेने एक पल की भी देर नही करते हैं।" नीरज अपनी नव विवाहिता पत्नी की आँखौ में आँखैं डालकर बोला।
अर्पणा ने उसके ओठौ पर अपना हाथ रख दिया और बोली," मैने शादी से पहले फौजियौ की जिन्दगी के बिषय में सब कुछ जान लिया था और उसके बाद ही पापा से जिद की थी कि मै फौजी की फौजन ही बनूँगी। और मेरे पापा ने मेरा रिश्ता आपसे करवाया। मै फौजी की फौजन बनकर आज बहुत खुश हूँ।"
और उसके बाद नीरज को कुछ दिन बाद ही अपनी ड्यूटी पर चला गया। क्यौकि उसी समय कारगिल का युद्ध शुरू होने के चांश होगये थे उसके पास टेलीग्राम आगया था और उसे ड्यूटी पर जाना पडा़ था।
ईश्वर कृपा से अर्पणा उसी समय माँ बनने वाली होगयी थी यह खबर जब अर्पणा ने फौन पर नीरज को सुनाई तब वह बहुत खुश हुआ था। नीरज की ड्यूटी भी कश्मीर में ही लगाई गयी ।नीरज ने कश्मीर बार्डर से ही अर्पणा को खत भेजा था कि उसके ड्यूटी ऐसी जगह लगी है जहाँ पर युद्ध चल रहा है मेरा यह खत आखिरी भी हो सकता है। लेकिन अर्पी तुम घबडा़ना मत। मेरे बेटी हो अथवा बेटा उनको फौजी अवश्य बनाना। मै अपनी भारत माँ की सेवा में जारहा हूँ।
नीरज का वह खत तो बाद में आया था उससे पहले नीरज का पार्थिव शरीर आगया था। अर्पणा ने उस दिन सोलह श्रंगार किये और अपने पति अर्थी को कन्धा देने पहुँच गयी।
उसके इस रूप को देखकर वहाँ मौजूद लोगौ ने भी अपने दांतौ तले उगली दबाली थी। उसकी सास ने बहुत मना किया तब वह बोली," माँजी आप चिन्ता मत करो मै अपने फौजी के बेटे की माँ बनने वाली हूँ मै उसको भी फौजी बनाऊँगी। मै अपने पति की अर्थी को कन्धा अवश्य दूँगी। " यह सब कहते समय उसके चेहरे पर कोई सिकन नही थी। अपितु वह खुश थी कि मै एक फौजी की विधवा हूँ।
इस घटना के कुछ दिन बाद नीरज का खत आया था। उस खत को उसने सम्भाल कर रखा और जब उसके बेटा हुआ वह बहुत खुश थी बडा़ होने पर उसे मिलट्री स्कूल में ही पढा़या औरजब वह पढ़कर कैप्टन बन कर घर आया तब अर्पणा की खुशी कोई ठिकाना नहीं था।
फौजियौ की पत्नी बनकर बहुत कुछ सोचना पड़ता है क्यौकि कितनी बार तो ऐसा होता है कि फौजी अपनी सुहागरात भी नहीं बना सका और उसे सीमा पर भेज दिया गया और वहाँ से उसका पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटकर ही आया।
उस पत्नी के ऊपर क्या बीतती होगी। यह सोचकर ही दिल परेशान होजाता है। यदि किसी लड़की ने किसी फौजी से प्यार किया हो और इसकी खबर उनके परिवार को न हो और वह शहीद होजाय तब उस लड़की का क्या हाल होगा। यह कोई नही बता सकता है वह बेचारी अकेली ही सोचने पर मजबूर होजाती है कि लह क्या करे ?
इसलिए फौजियौ की पत्नी बनने के लिए बहुत बडा़ दिल होना चाहिए।
आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
Seema Priyadarshini sahay
27-Mar-2023 09:52 AM
बेहतरीन सृजन
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सृष्टि सुमन
27-Mar-2023 09:42 AM
बेहतरीन रचना 👌👏
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Abhinav ji
27-Mar-2023 08:44 AM
Very nice 👌
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